सिंधु घाटी सभ्यता की खोज दायराम साहनी ने की। सिंधु घाटी सभ्यता का काल कार्बन 14 डेटिंग प्रणाली से ज्ञात करने से 2400 ई0पू0 से 1700 ई0पू0 ठहरता है। इसे प्राक-ऐतिहासिक काल या कास्य युग में रखा जा सकता है। इसके मूल निवासी द्रविड़ व भूमध्यसागरीय थे। मेसोपोटामिया के अभिलखों में वर्णित मेलूहा शब्द सिधु सभ्यता के लिए प्रयुक्त हुआ है। सिंधु सभ्यता नगरीय सभ्यता थी। आजादी के बाद इसके सबसे अधिक स्थल गुजरात से मिले हैं। इस सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। इस सभ्यता के घर और नगर ग्रिड पद्धति से बनाए गए। घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ सड़क की ओर न खुलकर पीछे की ओर खुलते थे। इस सभ्यता की मुख्य फसल गेहूँ और जौं थी। सिंधु वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे। इस सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों और चार पहियों की बैलगाड़ी या भैंसागाड़ी का प्रयोग करते थे। माना जाता है कि इस सभ्यता का शासन वणिक वर्ग के हाथ में था। पिग्गट ने हड़प्पा और मोहनजोडो को बड़े साम्राज्य की जुड़वां राजधानी कहा है। लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा करते थे। वृक्ष और शिव पूजा का प्रचलन था। सूर्य की उपासना और स्वस्तिक चिह्न के साक्ष्य मिले हैं। मंदिर के साक्ष्य नहीं मिले हैं। मातृदेवी की उपासना सबसे अधिक होती थी। कूबड़ वाला साँड पूजनीय था। मिट्टी की स्त्री मृण मूर्तियाँ मिली हैं। अनुमानतः यह समाज मातृ सत्तात्मक था। सूती और ऊनी वस्त्रों का प्रयोग करते थे। मनोरंजन के लिए मछ्ली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को लड़ाना, पासा व चौपड़ खेलना ही साधन थे। काले रंग के डिजाइन से लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे। लोग तलवार से परिचित थे। पर्दा प्रथा और वेश्यावृति प्रचलित थी। शवों को जलाने और गाड़ने की प्रथा थी। आग में पकी ईंटों को टेरिकोटा कहा गया। सिंधु सभ्यता के विनाश का सबसे बड़ा कारण बाढ़ मानी जाती है। इस सभ्यता के प्रमुख स्थल निम्नलिखित हैं-
(1) हड़प्पा –
- रावी नदी के किनारे
- खोज – दयाराम साहनी व माधोस्वरूप वत्स ने सन् 1921 में
- यह पाकिस्तान के मोंटगोमरी जिले में है।
- हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक सिंग वाले पशु का अंकन मिलता है।
(2) मोहनजोदड़ों –
- सिंधु नदी के किनारे
- खोज – रखलदास बनर्जी ने सन् 1922 में
- यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में है।
- अन्नागार के साक्ष्य। सिंधु सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत।
- स्नानागार के साक्ष्य। इसके बीच में 11.88 मीटर लंबा, 7.01 मीटर चौड़ा, 2.43 मीटर गहरा स्नानकुंड मिला है।
- तीन मुख वाले पशुपति नाथ की मूर्ति की प्राप्ति। उनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता और भैसा विराजमान है।
- नर्तकी की काँसे की मूर्ति।
- शवों को जलाने की प्रथा थी।
(3) चन्हूदड़ो –
- सिंधु नदी के किनारे
- खोज – गोपाल मजूमदार द्वारा सन् 1931 में।
- यह पाकिस्तान के सिंध प्रांत में है।
- मनके बनाने का कारख़ाना।
(4) कालीबंगन –
- घग्घर नदी के किनारे
- खोज – बी0बी0लाल और बी0के0थापर द्वारा सन् 1953 में
- यह राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में है।
- जूते हुए खेत के साक्ष्य
- नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग के साक्ष्य
- यहाँ अग्निकुंड मिला है।
- घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं।
- इसमें आम लोगों के लिए बना निचला शहर भी किले से घिरा हुआ था।
- युग्म समाधियाँ मिली है।
(5) कोटदीजी –
- सिंधु नदी के किनारे।
- खोज – फजल अहमद ने सन् 1953 में।
- यह सिंध प्रांत के खैरपुर में है।
(6) रंगपुर –
- मादर नदी के किनारे।
- खोज – रंगनाथ राव द्वारा सन् 1953-54 में।
- यह गुजरात के कठियावाड़ जिले में है।
- धान या चावल की खेती के प्रमाण मिले है।
(7) रोपड़ –
- सतलज नदी के किनारे।
- खोज – यगदत्त शर्मा द्वारा सन् 1953-56 में
- यह पंजाब के रोपड़ जिले में है।
(8) लोथल –
- भोगवा नदी के किनारे।
- खोज – रंगनाथ राव द्वारा सन् 1955 व 1962 में।
- यह गुजरात के अहमदनगर जिले में है।
- यह सिंधु सभ्यता का बंदरगाह था।
- यहाँ अग्निकुंड मिला है।
- मनके बनाने के कारख़ाना।
- घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।
- सबसे पहले धान या चावल की खेती के प्रमाण मिले है।
- घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं।
- युग्म समाधियाँ मिली है।
(9) आलमगीरपुर –
- हिंडन नदी के किनारे।
- खोज – यज्ञदत्त शर्मा द्वारा सन् 1958 में।
- यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में है।
- सर्वाधिक पूर्वी स्थल है।
- यह उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में है।
(10) सूतकागेंडोर –
- दाश्क नदी के किनारे।
- खोज – ऑरेंज स्टाइल व जार्ज डेल्स द्वारा 1927 व 1962 में
- यह पाकिस्तान के मकराना में समुद्र के किनारे है।
- सर्वाधिक पश्चिमी स्थल है।
- यह ब्लूचिस्तान में है।
(11) बनमाली –
- रंगोई नदी के किनारे।
- खोज – रवींदर सिंह बिष्ट द्वारा 1974 में
- यह हरियाणा के हिसार जिले में है
(12) धौलावीरा –
- खोज – रवींदर सिंह बिष्ट द्वारा 1990-91 में
- यह गुजरात के कच्छ जिले में है।
(13) माँदा –
- सर्वाधिक उत्तरी स्थल है।
- यह जम्मू कश्मीर में है।
(14) दाइमाबाद –
- सर्वाधिक दक्षिणी स्थल है।
- यह अहमद नगर, महाराष्ट्र में है।
(15) सुतकोतदा –
- यह सिंधु सभ्यता का बंदरगाह था।
- घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं।