यूनानियों के बाद भारत में शक आए। ये मध्य एशिया निवासी थे। ये चरागाह की खोज में भारत आए। भारत में शक राजा अपने को क्षत्रप कहते थे।
इनकी पाँच शाखाएँ थी। पहली शाखा ने अफगानिस्तान, दूसरी शाखा ने पंजाब (राजधानी तक्षशीला), तीसरी शाखा ने मथुरा, चौथी शाखा ने पश्चिमी भारत और पाँचवी शाखा ने ऊपरी दक्कन पर राज किया। पाँचवी शाखा ने सबसे लंबे समय लगभग चार शताब्दी तक दक्षिण भारत में राज किया।
शकों का सबसे प्रतापी राजा रुद्रदामन प्रथम था। जिसने गुजरात के बड़े भाग पर 130 से 150 ई0पू0 तक राज किया। इसी ने मौर्यो द्वारा निर्मित काठियावाड़ की अर्धशुष्क सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार किया। यह संस्कृत-प्रेमी था। इसी ने संस्कृत भाषा में लंबा अभिलेख गिरनार का अभिलेख जारी किया।
58 ई0पू0 में उज्जैन के राजा ने शकों के हरा दिया और विक्रमादित्य की उपाधि धारण की। इसी उपलक्ष्य में 58 ई0पू0 में विक्रम संवत शुरू किया गया। उसी समय से विक्रमादित्य लोकप्रिय उपाधि हो गई। भारत में इनकी संख्या 14 कही जाती है। सबसे विख्यात विक्रमादित्य थे – चन्द्रगुप्त द्वितीय।