गुर्जर प्रतिहार वंश
- गुर्जर प्रतिहार वंश की स्थापना मालवा का शासक नागभट्ट ने की।
- नगभट्ट-II को राष्ट्रकूट राजा गोविंद-III ने हराया था।
- गुर्जर प्रतिहार वंश का सबसे प्रतापी राजा मिहिरभोज था।
- मिहिरभोज की राजधानी कन्नौज थी। मिहिरभोज विष्णु का भक्त था। उसने आदि वाराह की उपाधि ली।
- गुर्जर प्रतिहार वंश के राजा महेंद्रपाल के दरबार में राजशेखर कवि थे।
- गुर्जर प्रतिहार वंश का अंतिम शासक यशपाल (1036 ई0) था।
गहड़वाल या राठौर राजवंश
- संस्थापक – चंद्रदेव। इसकी राजधानी वाराणसी (काशी) थी।
- गहड़वाल राजवंश सबसे शक्तिशाली राजा – गोविंदचंद्र। इसके मंत्री लक्ष्मीधर ने कृत्यकल्पतरु नामक ग्रंथ लिखा।
- गोविंदचंद्र की रानी कुमारदेवी ने सारनाथ में धर्मचक्र जिन विहार बनवाई।
- पृथ्वीराज-III ने जयचंद की पुत्री संयोगिता का अपहरण किया था।
- गहड़वाल या राठौर राजवंश का अंतिम राजा जयचंद था। जयचंद को गोरी ने 1194 ई0 के चंदावर युद्ध में मारा था।
चाहमान या चौहान वंश
- संस्थापक – वासुदेव। प्रारंभिक राजधानी अहिच्छत्र और बाद में अजमेर।
- अजेमर की स्थापना अजयराज द्वितीय ने की।
- सबसे प्रतापी राजा अर्णोराज था।
- अर्णोराज के पुत्र बिसलदेव ने हरिकेली नामक संस्कृत नाटक लिखा। बिसलदेव का समय 1153 ई0 से 1163 ई0।
- विग्रहराज-IV का राजकवि सोमदेव था। सोमदेव ने ललित विग्रहराज नाटक लिखा।
- विग्रहराज ने विद्यालय – ‘अढ़ाई दिन का झोपड़ा’ नामक मस्जिद बनवाया।
- पृथ्वीराज तृतीय का राजकवि चन्द्रवरदाई था। चन्द्रवरदाई ने पृथ्वीराजरासो की रचना की।
- पृथ्वीराज तृतीय ने रणथंभौर के जैन मंदिर का शिखर बनवाया।
- 1191 ई0 में पृथ्वीराज तृतीय और गौरी के बीच तराइन का प्रथम युद्ध हुआ। इसमें गौरी हार गया।
- 1192 ई0 में पृथ्वीराज तृतीय और गौरी के बीच तराइन का प्रथम युद्ध हुआ। इसमें पृथ्वीराज तृतीय हार गया।
परमार वंश
- संस्थापक – उपेंद्रराज। राजधानी धारा नगरी (प्राचीन उज्जैन)।
- सबसे शक्तिशाली राजा – भोज। इसने भोपाल के दक्षिण में भोजपुर नामक झील का निर्माण कराया।
- भोज ने वास्तुशास्त्र ग्रंथ युक्तिकल्पतरु लिखा।
- भोज के काल में श्रीहर्ष ने नैषधचरित्र, मेरुतुंग ने प्रबंधचिंतामणि, पद्मगुप्त ने नवसहसाङ्कचरित, धनंजय ने दशरूपक रची।
- भोज ने कविराज की उपाधि ली।
- भोज ने अपनी राजधानी में सरस्वती का मंदिर बनाया। इसी मंदिर में संस्कृत विद्यालय खोला।
- भोज ने चितौड़ में त्रिभुवन मंदिर बनवाया।
- भोज ने भोजपुर नगर बसाया।
चंदेल वंश
- प्रतिहरों के बाद बुंदेलखंड पर चंदेल वंश का शासन कायम हुआ। बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति था।
- चंदेल वंश का संस्थापक – नन्नुक था। इसका समय 831 ई0 था।
- प्रारम्भ में चंदेल वंश की राजधानी कालिंजर (महोबा) थी, बाद में खजुराहो को राजधानी बनाया।
- राजा धंग ने राजधानी कालिंजर से खजुराहो बनाई।
- धंग ने जिन्ननाथ, विश्वनाथ व वैद्यनाथ मंदिर बनवाया। कंदरिया महादेव मंदिर 999 ई0 में बनवाया।
- धंग ने गंगा-जमुना संगम पर शिव आराधना के करते हुए देह त्याग किया।
- सबसे प्रतापी राजा – यशोवर्मन।
- यशोवर्मन ने कन्नौज के प्रतिहार राजा देवपाल को हराया। देवपाल से विष्णु प्रतिमा प्राप्त की और खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित किया।
- चंदेल राजा विद्याधर ने कन्नौज के प्रतिहार राजा राज्यपाल की हत्या की।
- विद्याधर ही ऐसा भारतीय राजा था जिसने महमूद गजनी का प्रतिरोध किया।
- चंदेल राजा कीर्तिवर्मन के दरबार में कृष्ण मिश्र थे। कृष्ण मिश्र ने प्रबोधचंद्रोदय की रचना की।
- चंदेल राजा परमर्दिदेव के दरबार में आल्हा-उदल नामक दो सेनापति थे।
- चंदेल वंश का अंतिम राजा परमर्दिदेव था। 1202 में इसने कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली थी। इसकी कारण इसके मंत्री ने अजयदेव ने परमर्दिदेव की हत्या कर दी।
सोलंकी वंश/गुजरात का चालुक्य वंश
- संस्थापक – मूलराज प्रथम। राजधानी – अनहिलवाड़।
- मूलराज शिवधर्म को मानता था।
- भीम प्रथम के काल में महमूद गजनी ने सोमनाथ के मंदिर पर आक्रमण किया।
- भीम प्रथम के सामंत बिमल ने आबू पर्वत पर दिलवाड़ा का जैन मंदिर बनवाया।
- सबसे प्रतापी राजा – जयसिंह सिद्धराज।
- जयसिंह सिद्धराज के दरबार में जैन विद्वान हेमचन्द्र था।
- जयसिंह सिद्धराज ने सिद्धपुर में रुद्रमहाकाल मंदिर बनवाया।
- मोढेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण सोलंकी राजाओं के शासनकाल में हुआ।
- सोलंकी राजा कुमारपाल जैन धर्म मानता था। कुमारपाल जैन धर्म का अंतिम राजकीय प्रवर्तक था।
- अंतिम शासक – भीम द्वितीय था।
- बघेल वंश का कर्ण-II गुजरात का अंतिम हिन्दू राजा था, जिसने अलाउद्दीन खिलजी की सेना का मुक़ाबला किया।
कलचूरी-चेदी राजवंश
- कलचूरी वंश का संस्थापक कोक्कल था। राजधानी – त्रिपुरी थी।
- कलचूरी वंश के राजा गांगेयदेव ने विक्रमाद्वितीय की उपाधि ली।
- कलचूरी वंश का प्रतापी राजा कर्णदेव था। इसने कलिंग पर विजय प्राप्त की और त्रिकलिंगधिपति की उपाधि ली।
- कलचूरी वंश के दरबार में कवि राजशेखर रहते थे।
सिसोदिया वंश
- इस वंश के राजा स्वयं को सूर्यवंशी कहते थे।
- सिसोदिया वंश ने मेवाड़ पर राज किया और चितौड़ को राजधानी बनाया।
- राणा खुंभा ने अपनी विजयों के उपलक्ष्य में चितौड़ में विजयस्तम्भ का निर्माण कराया।
- 1518 ई0 में राणा सांगा और इब्राहिम लोदी के बीच खतोली का युद्ध हुआ।