शुंग वंश

  • पुष्यमित्र शुंग 185 ई0पू0 में मगध पर शुंग वंश की स्थापना की।
  • यह ब्राह्मण जाति का था।
  • पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेध यज्ञ किया। पतंजलि ने पुष्यमित्र शुंग के लिए यज्ञ किए।
  • भरहुत स्तूप का निर्माण कराया।
  • शुंग शासकों की राजधानी विदिशा थी।
  • शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था।

कण्व वंश

  • वसुदेव ने 73 ई0पू0 में शुंग वंश के अंतिम शासक देवभूति की हत्या कर मगध पर कण्व वंश की स्थापना की।
  • कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा था।

सातवाहन वंश

  • शिमुक ने 60 ई0पू0 में कण्व वंश के अंतिम शासक सुशर्मा की हत्या कर सातवाहन वंश की स्थापना की।
  • आंध्र वंश के सतवाहनों ने अपनी राजधानी आंध्र प्रदेश के औरंगाबाद जिले में प्रतिष्ठान को बनाया।
  • शिमुक, शातकर्णी, गौतमी पुत्र शातकर्णी, वशिष्ठीपुत्र, पुलूमावी, यज्ञश्री शातकर्णी सातवाहन वंश के प्रमुख शासक थे।
  • शातकर्णी ने दो अश्वमेध यज्ञ और एक राजसूय यज्ञ किए।
  • हाल और गुणाढ्य नामक प्रसिद्ध साहित्यकार भी सातवाहन शासकों के समय हुए।
  • सातवाहनों ने चाँदी, ताँबे, सीसा, पोटीन और काँसे की मुद्राएँ चलाई।
  • सातवाहनों ने ब्राह्मणों को भूमि अनुदान में देने की प्रथा का आरंभ किया।
  • सातवाहनों की भाषा प्राकृत और लिपि ब्राह्मी थी।
  • सातवाहनों का समाज मातृसत्तात्मक था।
  • सातवाहनों के समय की स्थापत्य कृतियाँ हैं- कार्ले का चैत्य, अजंता-एलोरा की गुफा का निर्माण, अमरवाती कला का विकास।
  • सातवाहन शासक दक्षिणपथ के स्वामी कहे जाते थे।
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